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BUDDHA ACADEMY TIKAMGARH (MP) || ☺ || CPCT_Admission_Open {संचालक-बुद्ध अकादमी टीकमगढ़}

created Jul 20th 2019, 11:14 by SubodhKhare1340667


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संसद से हमेशा गायब रहने वाले मंत्रियों पर प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी की नाराजगी जायज ही कही जाएगी। ऐसा नहीं है कि प्रधानमंत्री पहली बार मंत्रियों के गैर जिम्‍मेदार रवैये को लेकर सख्‍त हैं। इससे पहले भी वह सदन से गायब रहने वाले सांसदों को अनुशासित होने की सीख दे चुके हैं। मोदी ही नहीं पार्टी अध्‍यक्ष रहे अमित शाह ने भी लापरवाह संसदों को लेकर अपनी नाखुशी जता चुके हैं। दरअसल, ऐसे कई मौके आए जब मंत्रालय से संबंधित सवालों का जवाब देने के लिए एक भी मंत्री सदन में मौजूद नहीं थे। इस वजह से सत्‍ता पक्ष को कई बार बेवजह शर्मिंदा भी होना पड़ा है। जबकि नियम है कि संसद सत्र के दौरान सदन में एक का उससे ज्‍यादा मंत्री का होना अनिवार्य होता है। इसके लिए बारी-बारी से मंत्रियों की डयूटी भी लगाई जाती है। वैसे सांसदों और मंत्रियों को खुद इस बारे में सोचने की जरूरत है। उन्‍हें कोई सदन में मौजूदगी के लिए टोके या नाखुशी जताए, यह अच्‍छी बात नहीं है। लोकतंत्र में संसद सर्वोच्‍च संस्‍था है। इसके प्रति लापरवाही, अनदेखी या अरुचि दिखाना अच्‍छे जनप्रतिनिधियों का लक्षण नहीं हैं। दूसरों के लिए नियम-कानून बनाने वाले, अनुशासन का पाठ पढ़ाने वाले सांसद और विधायक ही अगर अनुशासित नहीं होंगे तो यह लोकतंत्र के साथ मजाक ही माना जाएगा।

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