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BUDDHA ACADEMY TIKAMGARH (MP) || ☺ || CPCT_Admission_Open {संचालक-बुद्ध अकादमी टीकमगढ़}

created Jul 20th 2019, 11:02 by SaLmanSK


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भय एकदम साफ झलक रहा था। घाना के एक पत्रकार ने अपना चेहरा छिपाते हुए अपनी बात रखी। कई दूसरे पत्रकारों ने भी अपनी चिंता, डर और कुंठा को उजागर किया। लंदन में पिछले हफ्ते आयोजित वैश्विक मीडिया स्‍वतंत्रता सम्‍मेलन में कुछ ऐसी ही तस्‍वीर दिखी। ब्रिटेन और कनाडा की सरकारों के संयुक्‍त तत्‍वाधान में आयोजित इस सम्‍मेलन में पत्रकारों के अलावा वकील, नेता, मंत्री और राजनयिक भी ऐसी बातें कर रहे थे। सबका यही कहना था कि यह दुनिया अब पत्रकारों के लिए अधिक प्रतिकूल हो चुकी है।
    पत्रकारों की अंतरराष्‍ट्रीय संस्‍था रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स ने वर्ष 2018 को पत्रकारों के लिए सबसे खतरनाक साल करार दिया है। ब्रिटिश सरकार की एक वेबसाइट के मुताबिक यूनेस्‍को ने भी पिछले साल 99 पत्रकारों की हत्‍या, 384 को जेल में डालने और 60 अन्‍य को बंधक बनाए जाने की पुष्टि की है।
    इन घटनाओं के पीछे तानाशाही प्रवृत्ति वाली सरकारों से लेकर संस्‍थागत सहयोग की कमी भी वजह है। अमेरिका जैसे मजबूत संस्‍थागत आधार वाले लोकतांत्रिक देशों में भी अब पत्रकारों को नियमित रूप से डराया-धमकाया और जलील किया जाता है। महिला पत्रकारों के साथ द्रुव्‍यवहार की घटनाओं पर भारत का भी जिक्र किया गया। व्‍हाट्सऐप के जरिये फैलाई जाने वाली अफवाहों के चलते भीड़ द्वारा पीट-पीटकर मार डाले जाने की घटनाओं और वर्ष 2017 में महिला पत्रकार गौरी लंकेश की हत्‍या का भी मुद्दा उठा।

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