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ICON COMPUTER EDUCATION CHHINDWARA (M.P.) CPCT HINDI TYPING COMPETITION-27
created Feb 23rd 2018, 08:40 by RajaPawar
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अधिक दो और अधिक पाओगे। जब हमारे पास किसी चीज की धिकता हो जैसे धन, प्रतिभा, ज्ञान, योग्यता, अनुभव तो आवश्यक हे कि हम इस अधिकता को दूसरों के साथ इस प्रकार बांटे। जिसमें कुछ विशिष्टता हो यदि हम सभी इस प्रकार बांट कर चेले तो संसार की अधिकांश समसयाओं का समाधान हो सकता है जब हमें अपनी अधिकता को दूसरों के साथ विभाजित करने का तरीका मिल जाए। विशेषकर उनके साथ जो कटिन परिश्रम करते हैं जिनमें निष्ठा और सृजनात्मक प्रतिभा है या यहां तक कि मैत्री भाव हो और जो इसके सहभागी होने की पात्रता रखते है, तो वह अधिकता अपने पास जमा रखने की अपेक्षा अधिक तेजी से बढ़ेगी। आपका आत्मसमान अंततोगत्वा आपके भीतर से आना चाहिए। हम सब अपने आप के बारे में अच्छा महसूस करना चाहते हैं तो हम अपने गहनतम मूल्यों के विपरीत कार्य कर सकते हैं। यह जीवन जीने का अत्यन्त प्रतिक्रियात्मक और अविश्वसनीय रूप से तनावपूर्ण तरीका हो सकता है। भीतर से आने वाले आत्मसम्मान ओर संतोष को हम तभी प्राप्त कर सकते है, जब हम अपने मूल्यों के अनुसार जीवन जिएं।
गलत आस्थाओं में परिवर्तन करके नकारात्मक व्यवहारों पर विजय प्राप्त की जा सकती है। गलत आस्था नकारात्मक असफल व्यवहारों की सर्जना करती हैं। उन्हें अनदेखा छोड़ देने पर, नकारात्मक व्यवहार आपको अपने जीवन को नियंत्रित करने के प्रयत्नपों में पराजित कर देगें। कोई भी नकारात्मक व्यवहार जीवन के प्रति क्रियात्मक तरीके का प्रतीक है। नकारात्मक व्यवहार अक्सर गलत ओर अनुपयुक्त आस्था के साथ आवश्यकताओं को पूरा करने के प्रयत्न का परिणाम होता है। क्योकि आस्था वास्तव में रूढ़ नहीं है, इसलिए वे वैसा व्यवहार और परिणम पैदा नहीं कर सकती जो असंतुष्ट आवश्यकता की संतुष्ट कर सकें। जैसे ही हम आवश्यकता की संतुष्टि के लिए अनुपयुक्त व्यवहार प्रयुक्त करते हैं हम निम्नगामी चक्रवात में फंस जाते है। आप तभी अपनी जरूरतों को संतुष्ट कर सकते हें जब आपकी आस्थाओं को मेल वास्तविकता से हो। आप कैसे कह सकते हें कि कोई आस्था व्यवहार या राय सही है? यदि आपके व्यवहार के परिणाम आपकी एक या अधिक मौलिक आवश्यकताओं की पूर्ति करते है तो सम्भवत: आपकी आस्था सही थी। इसके विपरीत यदि परिणाम आपकी जरूरत को पूरा नहीं करते तो आप निश्चय समझाइए की आपकी आस्था गलत थी यदि हम अपने आप पर और दूसरों पर हमला किए बिना अपनी कलत आस्थाओं और विनाशक व्यवहारों पर हमला कर सकें तो हम मानवीय सम्बन्धों और विनाशक व्यवहारों पर हमला कर सकें तो हम मानवीय सम्बन्धों और सर्जना की समस्याओं जिनका हमें सामना रना पड़ता है अनमें से अधिकांश का समाधान कर सकते हैं।
सफलता के सच्चे पयदान है यह मै अपने अनुभव से तथा उन हजारों लोगों के अनुभवों से जानता हूँ जो इस परीक्षा में खरे उतरे हैं।
गलत आस्थाओं में परिवर्तन करके नकारात्मक व्यवहारों पर विजय प्राप्त की जा सकती है। गलत आस्था नकारात्मक असफल व्यवहारों की सर्जना करती हैं। उन्हें अनदेखा छोड़ देने पर, नकारात्मक व्यवहार आपको अपने जीवन को नियंत्रित करने के प्रयत्नपों में पराजित कर देगें। कोई भी नकारात्मक व्यवहार जीवन के प्रति क्रियात्मक तरीके का प्रतीक है। नकारात्मक व्यवहार अक्सर गलत ओर अनुपयुक्त आस्था के साथ आवश्यकताओं को पूरा करने के प्रयत्न का परिणाम होता है। क्योकि आस्था वास्तव में रूढ़ नहीं है, इसलिए वे वैसा व्यवहार और परिणम पैदा नहीं कर सकती जो असंतुष्ट आवश्यकता की संतुष्ट कर सकें। जैसे ही हम आवश्यकता की संतुष्टि के लिए अनुपयुक्त व्यवहार प्रयुक्त करते हैं हम निम्नगामी चक्रवात में फंस जाते है। आप तभी अपनी जरूरतों को संतुष्ट कर सकते हें जब आपकी आस्थाओं को मेल वास्तविकता से हो। आप कैसे कह सकते हें कि कोई आस्था व्यवहार या राय सही है? यदि आपके व्यवहार के परिणाम आपकी एक या अधिक मौलिक आवश्यकताओं की पूर्ति करते है तो सम्भवत: आपकी आस्था सही थी। इसके विपरीत यदि परिणाम आपकी जरूरत को पूरा नहीं करते तो आप निश्चय समझाइए की आपकी आस्था गलत थी यदि हम अपने आप पर और दूसरों पर हमला किए बिना अपनी कलत आस्थाओं और विनाशक व्यवहारों पर हमला कर सकें तो हम मानवीय सम्बन्धों और विनाशक व्यवहारों पर हमला कर सकें तो हम मानवीय सम्बन्धों और सर्जना की समस्याओं जिनका हमें सामना रना पड़ता है अनमें से अधिकांश का समाधान कर सकते हैं।
सफलता के सच्चे पयदान है यह मै अपने अनुभव से तथा उन हजारों लोगों के अनुभवों से जानता हूँ जो इस परीक्षा में खरे उतरे हैं।
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