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बुद्ध अकादमी टीकमगढ़ (म.प्र.) (पटवारी, संविदा शिक्षक, वनरक्षक, पुलिस, जेल प्रेहरी तथा सभी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी)-सुबोध खरे

created Mar 29th 2017, 12:11 by AnujGupta1610


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प्राचीन शहर की एक ऐसी पहचान जो शायद सुखद अहसास नहीं देती। मणिकर्णिका घाट, जहां सैकड़ों सालों से लगातार चिताओं की अग्नि धधक रही है। यहां चौबीसों घंटे मृत शरीरों का अंतिम संस्‍कार किया जाता है। ऐसी मान्‍यता है कि जो यहां अंतिम सांस लेता है, उसे मोक्ष मिलता है। इस शहर में 100 से ज्‍यादा घाट हैं। इन्‍हीं में एक है मणिकार्णिका घाट यहां पर अन्‍त्‍येष्टि के लिए लोगों की भीड़ हर वक्‍त लगी रहती है। मैं सीधे घाट पर आया तो दर्जनों चिताओं को जलते देखा। कुछ शोकाकुल लोग जगह खाली होने का इंतजार कर रहे थे। वहीं डोम राजा फुर्ती के साथ सभी आवश्‍यक संस्‍कार पूरे करवाता दिखा ताकि दूसरे लोगों को ज्‍यादा इंतजार करना पड़े।
    हिंदू रीति रिवाजों के अनुसार मृतक के अंतिम संस्‍कार के समय इनकी भूमिका सबसे महत्‍वपूर्ण है, लेकिन फिर भी समाज इन्‍हें हीनभावना से ही देखता है। आर्थिक स्थिति भी खासा अच्‍छी नहीं है। शव के लिए लकडि़यां लगाने से लेकर राख हो जाने तक सभी काम डोम ही करते हैं। डोम राजा परिवार के पूर्वज कालू डोम चौधरी थे। जिन्‍होंने सत्‍यवादी राजा हरीशचंद्र को खरीदा था। इन्‍हीं के परिवार में एक महिला है, जमुना देवी।

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