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हिन्दी पैराग्राफ
created Mar 29th 2017, 04:25 by BhawanishankarKushwa
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आजकल हमारे देश एवं प्रदेश में यह फैशन सा चल पड़ा है कि कुछ विशिष्ट लोग, दूसरों के द्वारा पहनाई गयी, सुगन्धित पुष्पों की माला को पहनने के तुरन्त बाद ही उतार देते हैं, उन्हें यह सम्मान सूचक माला ऐसी लगती है जैसे किसी ने उसके गले में काला नाग लपेट दिया हो। हमारा प्राचीन साहित्य एवं इतिहास यह स्मरण कराता है कि सुमन माला को निकालने के कारण ही देवासुर संग्राम तक छिड़ गया था जिसमें कंठहार को निकालने के अपराध में देवराज इन्द्र सिहांसन से उतार दिये गये थे।
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