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साँई कम्प्यूटर टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा म0प्र0 संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565
created Apr 16th, 08:37 by lucky shrivatri
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चढ़ते पारे के बीच मौसम विभाग का आकलन खुशखबरी से कम नहीं है। पहले निजी एजेंसी स्काईमेट और अब भारतीय मौसम विभाग ने अच्छे मानसून की भविष्यवाणी करके आमजन में उम्मीद की किरण जगा दी है। मौसम विभाग के इस आकलन का इंतजार किसानों के साथ देश के हर वर्ग को रहता है। मौसम विभाग ने तो इस बार सामान्य से बेहतर मानसून की उम्मीद जताई है। यानी 104 से 110 फीसदी बारिश होगी।
देश की अर्थव्यवस्था में कृषि का योगदान किसी से छिपा नहीं है। अच्छी वर्षा होगी तो फसल भी अच्छी होगी, जिससे अर्थव्यवस्था में सुधार होगा। एक सौ चालीस करोड़ की आबादी वाले इस देश में आज भी जीविकोपार्जन के लिए कृषि सबसे बड़ा सहारा है। कम वर्षा होने की हालत में सरकारों को अरबो-खरबों रूपए सूखा राहत पर खर्च करने पड़ते है। इस इंतजाम में भ्रष्टाचारियों के वारे-न्यारे भी होते है। मौसम विभाग की यह भविष्यवाणी खुशी का मौका तो देती है, लेकिन साथ-साथ एक नई जिम्मेदारी भी देती है। सरकार को भी, सामाजिक संगठनों को भी और आमजन को भी। जिम्मेदारी यह कि सब जानते है कि पानी पैदा नहीं किया जा सकता सिर्फ संग्रहित किया जा सकता है। प्रकृति मानसून के रूप में हम पर मेहरबान होती है तो हमारी भी जिम्मेदारी बनती है कि हम उसका अच्छे तरीके से स्वागत करें। पानी व्यर्थ नहीं बहाएं और वर्ष जल को संग्रहित करने में भी अपनी भागादारी निभाएं। देश में लम्बे समय से वर्षा जल संग्रह के लिए अलग-अलग राज्यों में अनेक याोजनाएं चल रही है। इनमें कितनी ही तो कागजों पर होगी, जिन पर करोड़ों रूपए खर्च होते है। ऐसी योजनाओं का लाभ न सरकारें उठा पाती है और आमजन। जरूरत आज इसे पहचानने की है। देश आजादी का अमृत महोत्सव मना चुका है। अब देश के सामने नई चुनौतियां है। कहावत भी है जल बिन जीवन सूना।
देश की अर्थव्यवस्था में कृषि का योगदान किसी से छिपा नहीं है। अच्छी वर्षा होगी तो फसल भी अच्छी होगी, जिससे अर्थव्यवस्था में सुधार होगा। एक सौ चालीस करोड़ की आबादी वाले इस देश में आज भी जीविकोपार्जन के लिए कृषि सबसे बड़ा सहारा है। कम वर्षा होने की हालत में सरकारों को अरबो-खरबों रूपए सूखा राहत पर खर्च करने पड़ते है। इस इंतजाम में भ्रष्टाचारियों के वारे-न्यारे भी होते है। मौसम विभाग की यह भविष्यवाणी खुशी का मौका तो देती है, लेकिन साथ-साथ एक नई जिम्मेदारी भी देती है। सरकार को भी, सामाजिक संगठनों को भी और आमजन को भी। जिम्मेदारी यह कि सब जानते है कि पानी पैदा नहीं किया जा सकता सिर्फ संग्रहित किया जा सकता है। प्रकृति मानसून के रूप में हम पर मेहरबान होती है तो हमारी भी जिम्मेदारी बनती है कि हम उसका अच्छे तरीके से स्वागत करें। पानी व्यर्थ नहीं बहाएं और वर्ष जल को संग्रहित करने में भी अपनी भागादारी निभाएं। देश में लम्बे समय से वर्षा जल संग्रह के लिए अलग-अलग राज्यों में अनेक याोजनाएं चल रही है। इनमें कितनी ही तो कागजों पर होगी, जिन पर करोड़ों रूपए खर्च होते है। ऐसी योजनाओं का लाभ न सरकारें उठा पाती है और आमजन। जरूरत आज इसे पहचानने की है। देश आजादी का अमृत महोत्सव मना चुका है। अब देश के सामने नई चुनौतियां है। कहावत भी है जल बिन जीवन सूना।
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