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बंसोड कम्प्यूटर टायपिंग इन्स्टीट्यूट छिन्दवाड़ा म0प्र0 प्रवेश प्रारंभ सीपीसीटी,पीजीडीसीए,डीसीए, की सम्पूर्ण तैयारी करवायी जाती है।
created Apr 16th, 06:30 by neetu bhannare
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यूरोप व ग्रीक और भारत की उर्वर जगह पौधों की प्रारंभिक नियोजित बुवाई और कटाई की जगह थीं। इनको प्रारंभ में जंगलों में एकत्रित किया गया था। कृषि का सही तौर पर विकास पूर्वी और दक्षिणी चीन व अफ्रीका के साहेल तथा नए गिनी और अमेरिका के कई क्षेत्रों में हुआ था। कृषि की आठ तथा कथित नव पाषाण संचालक फसलें प्रकट हुई। प्रथम एमर गेहूं और एकोर्न गेहूं तथा उसके बाद बिना छिलके वाली जौ व मटर व मसूर तथा बिटर वेच चिक पी और सन की पैदावार की जाने लगी। सात हजार ईसा पूर्व तक लघु पैमाने की कृषि ग्रीक पहुंच गयी। कम से कम सात हजार ईसा पूर्व से भारतीय क्षेत्रों में गेहूं और जौ की खेती की जाने लगी व ये प्रमाणीकरण बलूच के मेहरगढ में किए गए खनन के आधार पर बताया गया है। छह हजार ईसा पूर्व तक नील नदी के तट पर छोटे पैमाने की कृषि होने लगी थी। लगभग इसी समय पर सुदूर पूर्व में कृषि का बेहतरीन रूप से विकास हो रहा था। इस समय तक गेहूं के बजाय चावल प्राथमिक फसल बन गयी थी। चीनी और भारतीय किसान टारो और फलियां व मूंग तथा सोय और अजुकी उगाने लगे थे। कार्बोहाइड्रेट के इन नए साधनों के साथ इन क्षेत्रों में नदियों व झीलों और समुद्रों के किनारों पर नियमित तरीके से मछली पकडने का काम भी शुरू हुआ। इससे बहुत अधिक मात्रा में जरूरी व अपेक्षित प्रोटीन मिल जाया करता था। सामूहिक रूप से खेती करने और मछली पकडने की ये नयी विधियां मानव के लिए वरदान साबित हुई। इसके सामने पहले के सभी विकास व प्रसार छोटे पड गए और यह आज भी ऐसे ही कायम है। पांच हजार ईसा पूर्व तक भारतीय सुमेरवासी केंद्रीय कृषि तकनीकों को विकसित कर चुके थे। इन तकनीकों में शामिल था बडे पैमाने पर भूमि की गहन जुताई करना व एक फसल उगाना तथा संगठित सिंचाई और एक विशेष श्रमिक बल का उपयोग करना आदि। एक विशेष तकनीक थी जल मार्ग जो अब शत अल अरब के नाम से जानी जाती है। यह फारस की खाडी के बीटा से टाइग्रिस और यूफ्रेटस के समागम तक अपनायी गयी थी। जंगली औरोक तथा मौफलोन क्रमश पालतू पशु तथा भेड में बदलने लगे और इनका उपयोग बडे पैमाने पर रेशे के लिए और बोझा ढोने के लिए किया जाने लगा। गडरिये या चरवाहे व आसीन और आधे घुमंतू समाज के लोग अपने समाज के लिए एक अनिवार्य प्रदाता के रूप में किसानों के साथ मिल गए। मनिओक और अरारोट सबसे पहले बावन सौ ईसा पूर्व में अमेरिका में उगाये गए। आलू व टमाटर तथा मिर्च और फलियों के कई प्रकारों के अलावा तंबाकू और कई दूसरे पौधों को भी इस नई दुनिया में विकसित किया गया। पूर्वी दक्षिण अमेरिका के अधिकांश भाग में खडी पहाडियों की ढाल पर बडे रूप में यह कृषि की गयी थी। यूनान और रोम वासियों ने तथा सुमेर वासियों ने शुरू की गई इन तकनीकों को न केवल आगे बढाया अपितु उनमें कुछ मौलिक परिवर्तन भी किए। दक्षिणी यूनान की भूमि बहुत ही अनुपजाउ थी लेकिन इसके बावजूद सालों तक वहां के निवासी एक प्रबल समाज के रूप में बने रहने के लिए संघर्ष करते रहे। वहीं दूसरी तरफ रोम निवासियों ने कारोबार के लिए फसलें उपजाने पर जोर देना शुरू कर दिया था। जिसमें वे सभी सफल भी हो गए।
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