Text Practice Mode
साँई कम्प्यूटर टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा म0प्र0 संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565
created Apr 3rd, 05:17 by lovelesh shrivatri
2
197 words
20 completed
3
Rating visible after 3 or more votes
00:00
एक बार किसी ने शिवजी से यह प्रश्न किया कि आप सचमुच भोले भण्डारी है। अरे! चन्द्रमा को शाप मिला, गुरूपत्नी पर जिसकी दृष्टि चली गई, ऐसे कालंकित चन्द्रमा को भी अपने माथे पर धारण क्यों कर लिया? शिवजी का उत्तर बहुत विमल है, सुनने लायक है। शिवजी ने कहा- देखिए मेरी दृष्टि चन्द्रमा के किसी अवगुण पर नहीं गई। चन्द्रमा में एक अच्छा गुण है। मेरे प्रभु के नाम का उत्तरार्द्ध चन्द्रमा से जुड़ा है। रामचन्द्र मेरे प्रभु हैं, उनके नाम का उत्तरार्द्ध चन्द्र है, अत: मैंने उसे अपने मस्तक पर चढ़ा लिया। दूसरा सवाल किया गया। आपने गंगा को मस्तक पर क्यों रखा? जवाब मिला, गंगा तो भगवान की चरणोदक है। आगे चलकर राम के अवतार के रूप में भगवान गंगा को पार करेंगे, इसलिए गंगा को मस्तक पर रख लिया। तीसरा सवाल पूछा गया कि तीन-तीन नेत्र क्यो है? शिवजी ने जवाब दिया- अग्नि नेत्र, सूर्य नेत्र और चन्द्र नेत्र ये तीनों रामजी के नाम से प्रकट हुए है। ये सवाल जवाब अपनी जगह है। इस बात को समझें कि शिवजी को पाकर द्वितीया का चन्द्रमा पूजित हो गया। इसी प्रकार यदि गुरू का आश्रय ले लें, तो शिष्य की भी पूजा होगी।
saving score / loading statistics ...