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साँई कम्‍प्‍यूटर टायपिंग इंस्‍टीट्यूट गुलाबरा छिन्‍दवाड़ा म0प्र0 संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565

created Mar 23rd, 09:33 by lucky shrivatri


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रंगों का त्‍यौहार होली खुशी और उमंग का प्रतीक है। भारत के सबसे प्राचीन और लोकप्रिय त्‍यौहारों में से एक होली सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में 50 से अधिक देशों में बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है। होली भारतीय संस्‍कृति में आस्‍था रखने वालों या मानवता के पक्षधरों द्वारा मनाये जाने वाला ऐसा पर्व है, जिसका उद्देश्‍य केवल बेरंग उदासी या मायूसी को खुशियों और सकारात्‍मक रंग से भरना होता है।  
मुख्‍य रूप से होली का त्‍योहार रंगों का त्‍योहार होता है। हिन्‍दू धर्म में विशेष महत्‍व रखने वाला होली का त्‍यौहार जो सबसे प्राचीन त्‍योहारों में से भी एक है जिसे दो बड़ी धूम-धाम रंगों और ठडाई के साथ मनाया जाता है। इसमें पहले दिन होलिका दहन होता है जिसे छोटी होली के नाम से जाता है और दूसरे दिन रंगो का त्‍योहार होता है, जिसे धुलेंडी कहा जाता है। इस दौरान लोग मिल जुलकर रंग खेलते हैं और खुशियों मनाते है।  
होली को रंगों के त्‍यौहार के रूपों में जाना जाता है। यह त्‍यौहार भारतीय संस्‍कृति में आने वाले महत्‍वपूर्ण त्‍यौहारों में से एक माना जाता है। प्रत्‍येक वर्ष मार्च के महीने में इस त्‍यौहार का आगमन होता है। इस त्‍यौहार को पसंद करने वाले लोग हर साल होली के आने का बेसब्री से इंतजार करते है। होली एक प्रेम से भरा त्‍यौहार है जो पूरा परिवार सभी दोस्‍त मिलकर मनाते है।  
होली के इतिहास कि बात करें तो माना जाता है कि हरिण्‍यकश्‍यप नाम का एक शैतान राजा था। जिसे अपनी ताकत का बेहद घमंड था। उनका एक बेटा था जिसका नाम प्रह्लाद था और एक बहन थी जिसका नाम होलिका था। प्रह्लाद विष्‍णु भगवान का भक्‍त था। शैतान राजा को ब्रह्मा का आशीर्वाद था कि कोई भी आदमी, जानवर या हथियार उसे मार नहीं सकता था। लेकिन ये आशीर्वाद उसके लिए अभिशाप बन गया। घामंड के कारण हरिण्‍यकश्‍यप ने अपनी प्रजा को ये आदेश दिया कि राज्‍य में भगवान कि नहीं राजा कि पूजा कि जाए और इसी आदेश के चलते राजा ने अपने पुत्र को मार डालने का भी प्रयास किया क्‍योंकि वे विष्‍णु भगवान कि पूजा में विश्‍वास रखता था। लेकिन उसकी ये चाल कामयाब हो पाई।  
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

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