Text Practice Mode
BUDDHA ACADEMY TIKAMGARH 'परिणामों की चिंता छोड़ कर्म करे'
created Jul 24th 2017, 03:23 by GuruKhare
0
430 words
0 completed
0
Rating visible after 3 or more votes
00:00
मनुष्य को सक्रिय बने रहने के लिए कार्य तो करना ही पड़ता है। हमें अनिवार्य रूप से कर्म करना पड़ता है, क्योंकि वह शरीर संचालन के लिए आवश्यक है। हम कार्य करके सुखी होते हैं या दुखी, हमें कार्य करके लाभ होता है या हानि- ये विषय बाद के हैं यानी कार्य सम्पन्न होने के बाद। कई बार कार्य करने से सुख या दुख की अनुभूति तत्काल नहीं होती, बाद में होती है। कार्य करने से लाभ हुआ या हानि यह भी कई बार कार्य सम्पन्न होने के बाद पता चलता है। जो भी हो, हमें कार्य तो करना ही चाहिए, कर्मफल की चिन्ता नहीं। दरअसल कार्य करने से जो सुख-दुख होता है या जो फल मिलता है वे ही हमें किसी कार्य को करने से पहले परेशान करने लगते हैं। यह चिंता हमें कार्य को आरंभ ही नहीं करने देती और हमें दुविधा में डाल देती है, यह उचित नहीं है। यदि हम थोड़ा शांत-भाव से सोंचे, उसके अच्छे-बुरे परिणामों की चिंता छोड़ दें, तो हम देखेंगे कि काेई काम बुरा नहीं होता। सब काम अच्छे होते हैं। फर्क होता है उसके फल देने की मात्रा में। किसी का फल भरपूर मिलता है, किसी का कम और हम इसी के प्रति शंकालु रहते हैं। यह हमारा भ्रम है। किसी काम का फल ज्यादा भी मिल सकता है और कम भी मिल सकता है। सुप्रसिद्ध पाश्चात्य विचारक बर्ट्रेन्ड रसेल का कहना है 'मेरा विचार है कि यदि काम बहुत ज्यादा न हो तो अधिकांश लोगों के लिए नीरस से नीरस काम भी बेकार बैठे रहने की अपेक्षा कम कष्टदायी होता है। काम की प्रकृति और काम करने वाले की योग्यताओं के अनुसार काम के अन्तर्गत सभी प्रकार की अवस्थाएं हैं जिनमें उकताहट से छुटकारा पाने से लेकर परम आह्लाद तक की अनुभूति हो सकती है। अधिकांश लोग जो काम करते हैं वह प्राय: अपने-आप में रुचिकर नहीं होता, किन्तु इस प्रकार के काम के भी कुछ बड़े लाभ हैं। कर्म करते समय मनुष्य अपने दुख को भी भूल जाते हैं। कुछ लोगों का स्वभाव ऐसा होता है कि एक काम की चेष्टा करते हुए भी किसी और बात को विचारते रहते हैं। ऐसे मनुष्य अपने कार्य में सफल नही होते। मन का क्रियात्मक और विचारात्मक अंग दोनों साथ-साथ कार्य करना चाहिए। किसी एक वस्तु की ओर ध्यान देते हुए हमारे विचार दूसरी वस्तु की ओर नहीं जाने चाहिए। जब पढ़ रहे हों तो पढ़ाई का ही चिार रखें। उस समय क्रिकेट मैच का विचार मत करें। जिस समय क्रिकेट खेल रहे हों उस समय पढ़ाई का ध्यान मत करें। असफलता का कारण एक समय में अधिक विषयों पर विचार है।
saving score / loading statistics ...